Daily Editorial - A New Model for India's Economic Growth

भारत के आर्थिक विकास के लिए नया मॉडल

भारत को अर्थव्यवस्था के नए मॉडल की जरूरत: एक विस्तृत विश्लेषण

इस विस्तृत विश्लेषण में बताया गया है कि कैसे भारत की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए एक नए मॉडल की आवश्यकता है। योजना आयोग से नीति आयोग तक के सफर के बावजूद, देश में विकास की असमानता और आर्थिक समस्याएं बनी हुई हैं। ऐसे में, एक नया आर्थिक मॉडल ही इन समस्याओं का समाधान हो सकता है।

योजना आयोग से नीति आयोग तक का सफर

भारत की अर्थव्यवस्था के विकास और उसकी दिशा को लेकर एक लंबा सफर रहा है, जिसमें योजना आयोग का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। योजना आयोग की स्थापना के समय से ही, इसे लेकर देश के विभिन्न मुख्यमंत्री, व्यापारी और सिविल सोसाइटी के लोग असंतुष्ट रहे। योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग का गठन भी इन्हीं असंतोषों का परिणाम था। परंतु, वर्तमान में भी नीति आयोग के कार्यों को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं।

योजना आयोग का सफर और उसकी विफलता

योजना आयोग की स्थापना का उद्देश्य देश की आर्थिक योजनाओं का निर्माण और उनके सफल क्रियान्वयन की दिशा में काम करना था। परंतु, समय के साथ इसके कामकाज में कई खामियां दिखाई देने लगीं। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता जैसी कई नेताओं ने योजना आयोग के कामकाज पर सवाल उठाए। उनके अनुसार, योजना आयोग के द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश और सुझाव राज्यों की ज़रूरतों के अनुरूप नहीं थे।

यूपीए सरकार और योजना आयोग की समीक्षा

जब यूपीए सरकार ने 2009 में सत्ता संभाली, तब देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए योजना आयोग की समीक्षा की आवश्यकता महसूस की गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने सरकारी अधिकारियों, व्यापारिक घरानों और सिविल सोसाइटी के साथ विचार-विमर्श कर योजना आयोग के कामकाज को सुधारने के सुझाव दिए। इसमें योजना आयोग को एक सुधार आयोग के रूप में तब्दील करने की बात भी कही गई थी।

योजना आयोग से नीति आयोग तक का सफर

2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, योजना आयोग को भंग कर दिया गया और उसकी जगह नीति आयोग का गठन किया गया। लेकिन ममता बनर्जी जैसी कुछ नेता अब भी योजना आयोग की वापसी की मांग कर रही हैं।

विकास की असमानता और नीति आयोग की विफलता

नीति आयोग के गठन के बावजूद देश में आर्थिक असमानता की खाई और भी गहरी हो गई है। करोड़पतियों की संख्या बढ़ती जा रही है, जबकि गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। नौजवानों के लिए अच्छी नौकरियां उपलब्ध नहीं हैं, और जनसांख्यिकीय लाभांश अब आपदा में बदल रहा है।

आर्थिक सुधार की आवश्यकता

भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए नए मॉडल की आवश्यकता है, जो केवल जीडीपी ग्रोथ पर ही नहीं, बल्कि समावेशी और पर्यावरणीय दृष्टि से टिकाऊ विकास पर भी ध्यान दे। 2020 में कोरोनावायरस महामारी के दौरान वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के ठप होने के बाद, एक बार फिर से यह स्पष्ट हो गया कि वर्तमान आर्थिक मॉडल विफल हो रहे हैं।

नए आर्थिक मॉडल की आवश्यकता

देश को अब एक नए आर्थिक मॉडल की आवश्यकता है, जो बाजार-समर्थक अर्थशास्त्रियों के वर्चस्व से मुक्त हो। हमें ऐसे मॉडल की जरूरत है जो न केवल विकास को ध्यान में रखे, बल्कि लोगों के कल्याण, पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक समावेशिता को भी प्राथमिकता दे।

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