यह लेख, ‘The Hindu’ में प्रकाशित “Up but out: On Vinesh Phogat’s Olympic campaign” पहलवान विनेश फोगाट के ओलंपिक अभियान पर केंद्रित है। लेख में विनेश फोगाट के ओलंपिक प्रदर्शन का विश्लेषण किया गया है, जिसमें उनके संघर्ष, उनकी जीत और हार की कहानी शामिल है। विनेश का अभियान एक भावुक यात्रा है, जिसमें उन्होंने कड़ी मेहनत की और सफलताओं का सामना किया, लेकिन अंततः ओलंपिक पदक से वंचित रह गईं। लेख में उनके संघर्ष और ओलंपिक के लिए तैयारियों के महत्व पर जोर दिया गया है।
विनेश फोगाट की ओलंपिक स्वर्ण पदक की उम्मीदें और निराशा
परिचय
विनेश फोगाट, जो हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं, ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के अपने सपने को पूरा करने के लिए पेरिस पहुंची थीं। 50 किलोग्राम के वर्ग में उनके जबरदस्त प्रदर्शन ने भारत के खेल प्रेमियों में बड़ी उम्मीदें जगाईं। लेकिन, उनकी स्वर्ण पदक की उम्मीदें उस समय धराशायी हो गईं जब वे फाइनल से पहले वजन के 100 ग्राम अधिक पाई गईं।
सेमीफाइनल तक का सफर
विनेश ने अपने सेमीफाइनल मुकाबले में जापान की पूर्व चैंपियन युई सुसाकी को हराकर सभी को चौंका दिया। उन्होंने क्यूबा की युसनेइलिस गुज़मैन लोपेज़ को सेमीफाइनल में मात देकर फाइनल में अपनी जगह बनाई। उनका प्रदर्शन उन्हें स्वर्ण पदक के लिए प्रमुख दावेदार के रूप में स्थापित कर चुका था। मंगलवार की सुबह उन्होंने 49.90 किलोग्राम वजन किया था, लेकिन मंगलवार के दिन की समाप्ति के बाद उनका वजन बढ़कर 52.7 किलोग्राम हो गया था।
वजन घटाने के प्रयास : अत्यधिक दबाव और नाकामी
मंगलवार की रात को विनेश और उनके समर्थन स्टाफ ने वजन घटाने के लिए अत्यधिक प्रयास किए। उन्होंने खाने-पीने से परहेज किया, कठोर व्यायाम किए और नींद तक को नज़रअंदाज़ कर दिया, लेकिन वजन घटाने की ये सभी कोशिशें असफल रहीं। सुबह 7:15 बजे हुए अनिवार्य वजन परीक्षण में वे 50 किलोग्राम से 100 ग्राम अधिक पाई गईं, जिससे उन्हें प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया।
भारतीय खेल के लिए बड़ा झटका
विनेश का वजन के कारण बाहर हो जाना न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा झटका था। उनके स्वर्ण या रजत पदक की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं, और उनकी इस निराशा ने पूरे देश में मायूसी फैला दी। उनकी इस हार को देश में कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख ब्रिज भूषण शरण सिंह के खिलाफ चल रहे बड़े संघर्ष का प्रतीक भी माना जा सकता है, जहां विनेश और अन्य पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।
नियम और अनुशासन
अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती महासंघ के नियम स्पष्ट हैं कि अगर कोई खिलाड़ी वजन के मानकों पर खरा नहीं उतरता, तो उसे प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाएगा। विनेश को भी इसी नियम के तहत बाहर किया गया और उन्हें प्रतियोगिता में आखिरी स्थान पर रखा गया। इस घटना ने भारतीय खेल में नियमों की सख्ती और अनुशासन की आवश्यकता को फिर से उजागर किया है।
निष्कर्ष
विनेश फोगाट की हार भारतीय खेलों के लिए एक बड़ी क्षति के रूप में देखी जा रही है। उन्होंने अपने करियर की समाप्ति की घोषणा भी की, जिससे भारतीय खेल जगत एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी खो देगा। हालांकि, उन्होंने रजत पदक के लिए अपील की है, जिसका निर्णय अभी बाकी है। उनका ये संघर्ष भारतीय खेल जगत में नियमों की सख्ती और अनुशासन की याद दिलाता है।