Wayumandal

वायुमंडल की संरचना (Structure of Atmosphere)

वायुमंडल में हवा की अनेक संकेद्री पर्ते हैं जो घनत्व और तापमान की दृष्टि से एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं। हवा का घनत्व धरातल पर सर्वाधिक है और ऊपर की ओर तेजी से घटता जाता है। वायुमंडल को पांच मुख्य संस्तरों में बाँट सकते हैं –

Structure of Atmosphere

1. क्षोभमंडल (Troposphere)

  • वायुमंडल के सबसे निचली संस्तर का क्षोभ मंडल कहते हैं। यह पृथ्वी के धरातल से कुछ ही ऊँचाई पर स्थित है।
  • इसकी ऊँचाई ध्रुवों पर 8 किमी० तथा विषुवत रेखा पर 18 किमी० है।
  • ट्रोपोस्फीयर या विक्षोभ प्रदेश (Troposphere) नामक शब्द का प्रयोग तिज्रांस-डि-बोर ने सर्वप्रथम किया था
  • संवहनी तरंगों तथा विक्षुब्ध संवहन के कारण इस मंडल को कर्म से संवहनी मंडल और विक्षोभ मंडल भी कहते हैं
  • विषुवत रेखा पर क्षोभमंडल की ऊँचाई सर्वाधिक है क्योंकि तेज संवहनीय धाराएँ धरातल की ऊष्मा को अधिक ऊँचाई पर ले जाती है।
  • इस संस्तर पर ऊँचाई के साथ तापमान कम होता है। तापमान में गिरावट की दर एक डिग्री सेल्सियस प्रति 165 मी० है। इसे सामान्य ह्रास दर कहते हैं।
  • इस संस्तर में धूल के कणों और जलवाष्प की मात्रा अधिक होती है।
  • ग्रीष्म ऋतु में इस स्तर की ऊँचाई में वृद्धि और शीतऋतु में कमी पाई जाती है
  • मौसम की प्रायः सभी घटनाएँ कुहरा, बादल, ओला, तुषार, आँधी, तूफान, मेघ गर्जन, विद्युत प्रकाश आदि इसी भाग में घटित होती हैं।
  • क्षोभमंडल और समताप मंडल के मध्य डेढ़ किमी० मोटी परत को ट्रोपोयास कहते हैं। वास्तव में यह मंडल क्षोभ तथा समताप मंडल के बीच विभाजक होता है।

2. समतापमंडल (Stratosphere)

  • समताप मंडल क्षोभमंडल के ऊपर स्थित है।
  • ट्रोपोयास से इस सीमा तक ऊँचाई के साथ तापमान प्राय: समान रहता है। (20 किमी० तक) इसके ऊपर 50 किमी० की ऊँचाई तक तापमान क्रमश: बढ़ता है।
  • यहाँ सूर्य की पराबैंगनी किरणों का अवशोषण करने वाली ओजोन गैस मौजूद होती है।
  • यहाँ संघनन से विशिष्ट प्रकार के “मुकताभ मेघ” की उत्पत्ति होती है और एवं गिरने वाले बूदों को Noctilucent कहते हैं
  • यह ओजोन मंडल 30-35 किमी० में पाया जाता है।
  • यह मंडल मौसमी हलचल से रहित होता है, इसलिए वायुयान चालकों के लिए उत्तम होता है।
  • इस मंडल की खोज सर्वप्रथम तिज्रांस-डि-बोर ने 1902 में की थी।

3. मध्यमंडल (Mesosphere)

  • 50 किमी० से 80 किमी० की ऊँचाई वाला भाग मध्य मंडल कहा जाता है।
  • उसमें ऊँचाई के साथ तापमान में ह्रास होता है।
  • 80 किमी० की ऊँचाई पर तापमान -80°C हो जाता है। इस तापमान की सीमा को “मेसोपास” कहते हैं। इसके ऊपर जाने पर पुनः तापमान में वृद्धि होती जाती है।

4. आयन मंडल (Ionosphere)

  • धरातल से 80-640 कि.मी. के बीच आयन मंडल का विस्तार है
  • यहाँ पर अत्यधिक तापमान के कारण अति न्यून दबाव होता है
  • पराबैगनी फोटोंस (UV photons) एवं उच्च वेगीय कणों के द्वारा लगातार प्रहार होने से गैसों का आयनन (Ionization) हो जाता है
  • आयनमंडल के पुनः तीन उपमंडल होते हैं –
    • D परत- यह आयनमंडल का सबसे निचला भाग होता है।
    • E परत- यह D-परत के ऊपर स्थित होता है।
    • F परत- सबसे ऊपरी भाग को F -परत कहते हैं।

    यदि आयन मंडल की स्थिति नहीं होती तो रेडियो तरंगें भूतल पर न आकर आकाश में असीमित ऊँचाईयों तक चली जाती। इसी मंडल में उत्तरी ध्रुवीय प्रकाश (Aurora Borealis) तथा दक्षिणी ध्रुवीये प्रकाश (Aurora Australis) के दर्शन होते हैं।

5. बाह्य मंडल (Exosphere)

  • सामान्यतः 640 कि.मी. के ऊपर बाह्य मंडल का विस्तार पाया जाता है।
  • यहाँ पर हाइड्रोजन एवं हीलियम गैसों की प्रधानता है।
  • अद्यतन शोधों के अनुसार यहाँ नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीलियम तथा हाइड्रोजन की अलग-अलग परतें भी होती हैं।
  • लेमन स्पिट्जर ने इस मंडल पर विशेष शोध किया है।

वायुमंडल का रासायनिक संगठन

रासायनिक दृष्टिकोण से वायुमंडल को दो भाग में विभक्त किया गया है –

  1. सममंडल (Homosphere) :- इसमें गैसों के अनुपात में परिवर्तन नहीं होता है। (90 किमी० ऊँचाई)
  2. विषममंडल (Hexosphere) :- इसमें ऑक्सीजन के अणु पाए जाते हैं। इसकी ऊँचाई 200 से 1100 किमी है।
  3. हीलियम परत :- इसमें हीलियम के अणु पाए जाते हैं तथा इसका विस्तार 1100 से 3500 किमी० के बीच है।
  4. हाइड्रोजन परत :- सामान्य तौर पर इसका विस्तार 10,000 किमी० तक माना जाता है। इसमें हाइड्रोजन के अणु पाए जाते हैं।
Read More :

Read More Geography Notes

 

 

वायुमंडल एवं उनके संघटन

वायुमंडल (Atmosphere)

पृथ्वी को चारों ओर से आवरण की तरह घेरे हुए हवा के विस्तृत भंडार को वायुमंडल (Atmosphere) कहते हैं।

  • इसमें मनुष्य एवं जानवर के लिए ऑक्सीजन एवं पेड़-पौधों के लिए कार्बनडाईआक्साइड जैसी जीवनदायी गैसें उपस्थित हैं।
  • सूर्य के खतरनाक विकिरण से यह पृथ्वी की रक्षा करता है।
  • वायुमंडल जलवाष्प का भंडार है जिससे धरातल पर वृद्धि होती है और स्थल तथा समुद्र पर वृद्धि के नियमित वितरण को भी यह नियंत्रित करता है।

वायुमंडल का संघटन (Composition of Atmosphere)

वायुमंडल अनेक गैसों का मिश्रण है जिसमें ठोस और तरल पदार्थों के कण असमान मात्रा में तैरते रहते हैं। शुद्ध शुष्क हवा में 78% नाइट्रोजन तथा 21% ऑक्सीजन होता है। ये दोनों मिलकर आयतन का 99% हैं। शेष 1% में ऑर्गन 0.93%, कार्बनडाईऑक्साइड 0. 03%,  हाइड्रोजन ओजोन इत्यादि गैसें हैं। जलवाष्प के अलावा धूलकण तथा अन्य अशुद्धियाँ भी असमान मात्रा में हवा में होती हैं।

वायुमंडल के संघटन के महत्वपूर्ण तत्व

संसार की जलवायु और मौसमी दशाओं के लिए जलवाष्प, धूलकण, कार्बनडाईऑक्साइड, ओजोन आदि अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।

जलवाष्प (Watervapour)

जलवायु के दृष्टिकोण से जलवाष्प सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। आयतन के हिसाब से यह गैस उष्णकटिबंध और ध्रुवीय क्षेत्रों में हवा के 1% से भी कम होती है। भूतल से 5 किमी० तक वायुमंडल वाले भाग में समस्त वाष्प का 90% भाग रहता है। ऊपर जाने पर वाष्प की मात्रा घटती जाती है। वाष्प के कारण ही सभी प्रकार के संघनन तथा वर्षण एवं उनके विभिन्न रूप (बादल, तुषार, जलवृष्टि, हिम, ओस आदि) का सृजन होता है। जलवाष्प सूर्य की किरणों के लिए पारदर्शक होता है, जिस कारण वह बिना रूकावट धरातल पर चली आती हैं, परन्तु पृथ्वी से विकीर्ण शक्ति के लिए अपेक्षाकृत कम पारदर्शक होने के कारण पृथ्वी को गर्म करने में सहायक होती है।

धूलकण (Dust)

गैस तथा वाष्प के अलावा वायुमंडल में कुछ ठोस कण भी पाए जाते हैं। इनमें धूलकण सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। इनकी उपस्थिति के कारण वायुमंडल में अनेक घटनाएँ घटित होती हैं। सूर्य से आने वाली किरणों में प्रकीर्णन (Scattering) इन्हीं कणों के द्वारा होता है। जिस कारण आकाश का नीला रंग, सूर्योदय तथा सूर्यास्त एवं गोधुलि बेला के समय आकाश का रंग लाल नजर आता है। वर्षा, कुहरा, बादल आदि इन्हीं के प्रतिफल बनते हैं।

अन्य गैसे (Other Gasses)

हवा में कार्बनडाइ आक्साइड उसके कुल आयतन का 0.03% ही है, फिर भी यह महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह सूर्य से आने वाले विकिरण के लिए पारगम्य है। किन्तु पृथ्वी से बाहर आने वाली विकिरण के लिए अपारगम्य है। इस विकिरण के अंश का अवशोषण करके उसका कुछ अंश पुनः धरातल पर लौटा देती हैं अत: यह धरातल के समीप वाले हवा को गर्म रखती है। यह पृथ्वी की धरालत से 20 किमी० तक होती है।

वायुमंडल का दूसरा घटक ओजोन गैस है। यह एक छन्नी का काम करती है और सूर्य के पराबैंगनी विकिरण को अवशोषित कर लेती है। यह मुख्यत: धरातल से 10 से 50 किमी० की ऊँचाई पर स्थित है।

Read More :

Read More Geography Notes

 

 

error: Content is protected !!