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उत्तराखंड वन रिपोर्ट 2023 (Uttarakhand Forest Report 2023)

उत्तराखंड वन रिपोर्ट 2023
(Uttarakhand Forest Report 2023)

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने 21 दिसम्बर 2024 को रिपोर्ट जारी की। वर्ष 1987 में पहला सर्वेक्षण प्रकाशित हुआ था वर्ष 2023 में भारत वन स्थिति रिपोर्ट (India State of Forest Report – ISFR) का यह 18वाँ प्रकाशन है। इस रिपोर्ट को द्विवार्षिक रूप से ‘भारतीय वन सर्वेक्षण’ द्वारा प्रकाशित किया जाता है।

वनों की तीन श्रेणियों का सर्वेक्षण किया गया है जिनमें शामिल हैं

  • अत्यधिक सघन वन (Very Dense Forest) (70% से अधिक चंदवा घनत्व),
  • मध्यम सघन वन (Moderately Dense Forest) (40 – 70%) और
  • खुले वन (Open Forest) (10 – 40%)।
  • स्क्रबस (Scrub) (चंदवा घनत्व 10% से कम) का भी सर्वेक्षण किया गया लेकिन उन्हें वनों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया।

भारत में वन आवरण

श्रेणी क्षेत्रफल (Km2) भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिशत
वन आवरण (Forest Cover) 7,15,342.61 21.76%
वृक्ष आवरण (Tree Cover) 1,12,014.34 3.41%
कुल वन आवरण (Total Forest and Tree Cover ) 8,27,356.95 25.17%
झाड़ी (Scrub) 43,622.64 1.33%
गैर वन (Non Forest) 24,16,489.29 73.50%
कुल भौगोलिक क्षेत्र 32,87,468.88 100%

 

उत्तराखंड वन रिपोर्ट 2023 (Uttarakhand Forest Report 2023)

17वीं वन रिपोर्ट (2021) की तुलना में उत्तराखंड के कुल वनों में 22.98 वर्ग किमी. की कमी आयी हैं जिसमे से सात जनपदों में वनों के क्षेत्रफलों में कमी दर्ज की गई हैं 

उत्तराखंड का वन आवरण 

श्रेणी क्षेत्रफल (Km2) प्रतिशत
अत्यधिक सघन वन (VDF) 5,266.58 9.85%
मध्यम सघन वन (MDF) 12,517.63 23.40%
खुले वन (OF) 6,519.62 12.19%
Total 24,303.83 45.44%
स्क्रबस (Scrub) 412.88  0.77%

उत्तराखंड के जिलेवार वन क्षेत्र

जनपद क्षेत्रफल VDF MDF OF Total प्रतिशत Scrub परिवर्तन
2021 के तुलना में 
अल्मोड़ा 3,144.05 222.24 817.89 682.83 1,722.96 54.80% 5.82 4.09
बागेश्वर 2,241.00 222.24 741.21 354.43 1,263.37 56.38% 1.43 -2.36
चमोली 8,030.21 442.65 1,522.23 676.42 2,641.30 32.89% 3.78 -9.36
चम्पावत 1,765.78 382.01 571.36 266.02 1,219.39 69.06% 9.06 -3.28
देहरादून 3,088.00 680.99 588.99 370.32 1,640.30 53.12% 80.47 4.67
पौड़ी गढ़वाल 5,328.55 588.44 1,847.84 924.27 3,360.55 63.07% 99.06 0.58
हरिद्वार 2,360.20 76.86 274.35 213.55 564.76 23.93% 11.25 -2.47
नैनीताल 4,251.35 780.03 1,583.17 503.35 2,866.55 67.43% 15.88 0.77
पिथोरागढ़ 7,090.05 518.02 978.53 640.78 2,137.33 30.15% 44.89 0.68
रुद्रप्रयाग 1,984.14 272.76 582.17 291.68 1,146.61 57.79% 9.23 -3.23
टिहरी गढ़वाल 3,642.17 305.87 1,149.08 767.73 2,222.68 61.03% 103.25 8.87
ऊधम सिंह नगर 2,542.25 157.69 216.42 120.06 494.17 19.44% 4.53 -11.29
उत्तरकाशी  8,015.81 671.29 1,644.39 708.18 3,023.86 37.72% 24.23 -10.65
Grand Total 53,483.36 5,266.58 12,517.63 6,519.62 24,305.13 45.44% 412.88 -22.98

 

  • उत्तराखंड के 6 सबसे ज्याद वन आवरण वाले जनपद क्षेत्रफल की दृष्टि से – पौड़ी गढ़वाल (3,360.55 वर्ग किमी.), उत्तरकाशी (3,023.86 वर्ग किमी.), नैनीताल (2,866.55 वर्ग किमी.), चमोली (2,641.3 वर्ग किमी.), टिहरी गढ़वाल (2,222.68 वर्ग किमी.) व  पिथोरागढ़ (2,137.33 वर्ग किमी.)
  • उत्तराखंड के 6 सबसे कम वन आवरण वाले जनपद क्षेत्रफल की दृष्टि से – ऊधम सिंह नगर (494.17 वर्ग किमी.), हरिद्वार (564.76 वर्ग किमी.), रुद्रप्रयाग (1,146.61 वर्ग किमी.), चंपावत (1,219.39 वर्ग किमी.), बागेश्वर (1,263.37 वर्ग किमी.) व देहरादून (1,640.30 वर्ग किमी.)

 

  • उत्तराखंड के 6 सबसे ज्याद वन आवरण वाले जनपद प्रतिशत की दृष्टि से –  चंपावत (69.06%), नैनीताल (67.43%), पौड़ी गढ़वाल (63.07%), टिहरी गढ़वाल (61.03%), रुद्रप्रयाग (57.79%) व  बागेश्वर (56.38%)
  • उत्तराखंड के 6 सबसे कम वन आवरण वाले जनपद प्रतिशत की दृष्टि से – ऊधम सिंह नगर (19.44%), हरिद्वार (23.93%), पिथौरागढ़ (30.15%), चमोली (32.89%), उत्तरकाशी (37.72%) व देहरादून (53.12%)

 

  • उत्तराखंड के 6 सबसे ज्याद वन आवरण में कमी वाले जनपद क्षेत्रफल की दृष्टि से – ऊधम सिंह नगर (-11.29 वर्ग किमी.), उत्तरकाशी (-10.65 वर्ग किमी.), चमोली (-9.36 वर्ग किमी.), चम्पावत (-3.28 वर्ग किमी.), रुद्रप्रयाग (-3.23 वर्ग किमी.) व हरिद्वार (-2.47 वर्ग किमी.) 
  • उत्तराखंड के 6 सबसे ज्याद वन आवरण में वृद्धि वाले जनपद क्षेत्रफल की दृष्टि से – टिहरी गढ़वाल (8.87 वर्ग किमी.), देहरादून (4.67 वर्ग किमी.), अल्मोड़ा (4.09 वर्ग किमी.), नैनीताल (0.77 वर्ग किमी.), पिथोरागढ़ (0.68 वर्ग किमी.) व पौड़ी गढ़वाल (0.58 वर्ग किमी.) 

 

  • उत्तराखंड के 6 सबसे ज्याद क्षेत्रफल वाले जनपद – चमोली (8,030 वर्ग किमी.), उत्तरकाशी (8,016 वर्ग किमी.), पिथौरागढ़ (7,090 वर्ग किमी.), पौड़ी गढ़वाल (5,329 वर्ग किमी.), नैनीताल (4,251 वर्ग किमी.) व टिहरी गढ़वाल (3,642 वर्ग किमी.)
  • उत्तराखंड के 6 सबसे कम क्षेत्रफल वाले जनपद – चंपावत (1,766 वर्ग किमी.), रुद्रप्रयाग (1,984 वर्ग किमी.), बागेश्वर (2,241 वर्ग किमी.), हरिद्वार (2,360 वर्ग किमी.), ऊधम सिंह नगर (2,542 वर्ग किमी.) व देहरादून (3,088 वर्ग किमी.) 

 

उत्तराखंड का ऊंचाईवार वन आवरण

ऊंचाई क्षेत्र भौगोलिक क्षेत्रफल VDF MDF OF Total Scrub
0 – 500 7,937.03 713.24 1,501.40 613.09 2,827.73 35.56
500 – 1000 5,703.01 1,193.46 1,830.75 913.20 3,937.41 106.47
1000 – 2000 17,560.08 1,546.53 5,084.29 3,396.26 10,027.08 230.03
2000 – 3000 7,248.04 1,684.12 3,003.48 1,050.44 5,738.04 22.55
3000 – 4000 4,193.08 129.22 1,094.83 536.58 5,738.04 17.11
> 4000 10,842.12 0.01 2.88 10.05 12.94 1.16
Total 53,483.36 5,266.58 12,517.63 6,519.62 24,303.83 412.88

 

विभिन्न ढलान वर्ग उत्तराखंड का वन आवरण

तापमान भौगोलिक क्षेत्रफल VDF MDF OF Total Scrub
0 – 5 9,446.02 919.17 1,371.22 646.14 2,936.53 44.52
5 – 10 4,069.01 505.08 948.89 353.65 1,807.62 19.02
10 – 15 5,688.06 638.36 1,474.60 652.83 2,765.79 38.82
15 – 20 7,028.03 759.54 1,893.38 935.23 3,588.15 60.58
20 – 25 7,313.11 756.44 2,014.82 1,058.30 3,829.56 70.73
25 – 30 6,683.05 667.25 1,849.74 1,029.67 3,546.66 68.32
> 30 13,256.08 1,020.74 2,964.98 1,843.80 5,829.52 110.89
Total 53,483.36 5,266.58 12,517.63 6,519.62 24,303.83 412.88

जंगल की आग

अग्नि सीजन 2022-23 और 2023-24 के दौरान SNPP-VIIRS सेंसर का उपयोग करके FSI द्वारा पता लगाई गई जंगल की आग की जिलेवार संख्या।

जनपद SNPP-VIIRS के दौरान पता लगाना (2022-23)  SNPP-VIIRS के दौरान पता लगाना (2023-24)
अल्मोड़ा 786 2,810
बागेश्वर 321 805
चमोली 330 1,331
चम्पावत 470 1,782
देहरादून 230 705
पौड़ी गढ़वाल 928 3,193
हरिद्वार 99 59
नैनीताल 570 3,320
पिथोरागढ़ 785 1,204
रुद्रप्रयाग 70 489
टिहरी गढ़वाल 310 2,589
ऊधम सिंह नगर 128 289
उत्तरकाशी  324 2,457
Grand total 5,351 21,033

 

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उत्तराखंड राज्य की सांस्कृतिक संस्थाएँ व उनका गठन

उत्तराखंड राज्य की सांस्कृतिक संस्थाएँ, उनका गठन व उद्देश्य
(Cultural Institutions of Uttarakhand, their Formation and Objectives)

संस्थान  गठन (वर्ष)  उद्देश्य
श्रीराम सेवक सभा, नैनीताल 1918 नन्दादेवी और रामलीला आयोजन हेतु। 
भातखण्डे संगीत महाविद्यालय 1926 भारतीय शास्त्रीय संगीत की विद्या को बढ़ावा देना, इसके अन्तर्गत – देहरादून, अल्मोड़ा और पौड़ी में तीन महाविद्यालयों की स्थापना की गई।
श्री हरि कीर्तन सभा, नैनीताल 1940 शास्त्रीय एवं वाद्य संगीत में प्रशिक्षण, लोकनृत्य एवं लोकनाट्य के विकास को बढ़ावा देना। 
बोट हाउस क्लब, नैनीताल 1948 डोंगी की दौड़, नावों की दौड़, नृत्य एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना।
संस्कृत कला केन्द्र, हल्द्वानी 1957 पारम्परिक भारतीय संगीत एवं नाटक को लोकप्रिय बनाना।
पर्वतीय कला केन्द्र, दिल्ली 1968 प्रदेश के कलाकारों को सहयोग एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराना।
रंगमण्डल, देहरादून एवं अल्मोड़ा 2000 नाट्य एवं लोक कला और कलाकारों को बढ़ावा देना।
नाट्य एवं संगीत अकादमी, अल्मोड़ा 2002 नाट्य एवं संगीत को बढ़ावा देना और उसके विकास में सहायता करना।
उदयशंकर नृत्य व नाट्य अकादमी, अल्मोड़ा 2003 नृत्य एवं नाट्य क्षेत्र को बढ़ावा देना।
संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद्, देहरादून 2004 प्रदेश के सांस्कृतिक विकास, संरक्षण एवं प्रोत्साहन हेतु।
जयराम आश्रम संस्कृत महाविद्यालय, हरिद्वार 2005 अकादमिक स्तर की शिक्षा को बढ़ाना, विशेषकर संस्कृत का विकास करना।
हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र, देहरादून 2010 प्रदेश के सांस्कृतिक विरासत को आधुनिकता प्रदान करना और उसके विकास को बढ़ावा देना। 

 

 

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उत्तराखंड एक जिला दो उत्पाद

उत्तराखंड एक जिला दो उत्पाद योजना के अंतर्गत हर जिले के दो प्रमुख उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा। इस उत्पादों की सूची इस प्रकार है – 

उत्तराखंड एक जिला दो उत्पाद
(Uttarakhand One District Two Products)

जनपद चयनित उत्पाद
हरिद्वार गुड़ और शहद
उत्तरकाशी  सेब आधारित उत्पाद और ऊनी हस्तशिल्प उत्पाद
देहरादून बेकरी उत्पाद और मशरूम
नैनीताल ऐपण क्राफ्ट और कैंडल क्राफ्ट
चंपावत  लौह उत्पाद और हाथ से बुने उत्पाद
पौड़ी गढ़वाल हर्बल उत्पाद और वुडन फर्नीचर 
पिथौरागढ़ ऊनी कारपेट और मुनस्यारी राजमा
उधम सिंह नगर मेंथा आयल और मूंज ग्रास प्रोडक्ट 
अल्मोड़ा  ट्वीड और बाल मिठाई 
बागेश्वर तांबे के उत्पाद और मंडुआ बिस्कुट
टिहरी गढ़वाल नेचुरल फाइबर उत्पाद और टिहरी नथ
चमोली हथकरघा एवं हस्तशिल्प और एरोमेटिक हर्बल
रुद्रप्रयाग मंदिर अनुकृति हस्तशिल्प और प्रसाद उत्पाद

 

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नशा नहीं रोजगार दो (Not Intoxicated Give Employment)

उत्तराखण्ड में गोरखा के शासन काल तक शराब का कोई प्रचार-प्रसार नहीं था। उत्तराखंड में कई जनजातियाँ में शराब परम्परागत रुप से जुड़ी होने के बावजूद भी शराब का प्रचलन बहुत कम था। उत्तराखण्ड में ब्रिटिश काल में 1880 के बाद सरकारी शराब की दुकानें खुलने के साथ ही यहां पर शराब का प्रचलन शुरु हुआ। 1882 में जब यह कहा जाने कि यहां पर शराब का प्रचलन बढ़ने लगा है तो तत्कालीन कमिश्नर रामजे ने लिखा था कि “ग्रामीण क्षेत्रों में शराब का प्रयोग बिल्कुल नहीं होता है और मुझे आशा है कि यह कभी नहीं होगा, मुख्य स्टेशनों के अलावा शराब की दुकानें अन्यत्र खुलने नहीं दी जायेंगी”। 

अल्मोड़ा अखबार 2 जनवरी, 1893 ने लिखा “जो लोग शराब के लती हैं, वे तुरन्त ही अपना स्वास्थ्य व सम्पत्ति खोने लगते हैं, यहां तक कि वे चोरी, हत्या तथा अन्य अपराध भी करते हैं, सरकार को लानत है कि वह सिर्फ आबकारी रेवेन्यू की प्राप्ति के लिये इस तरह की स्थिति को शह दे रही है। यह सिफारिश की जाती है कि सभी नशीले पेय और दवाओं पर पूरी तरह रोक लगे।”

स्वतंत्रता संग्राम में देश के अन्य भागों की तरह यहां पर भी शराब के खिलाफ आन्दोलन चलते रहे, 1965 – 67 में सर्वोदय कार्यकर्ताओं द्वारा टिहरी, पौड़ी, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ तक शराब के विरोध में आन्दोलन चलाया, परिणाम स्वरुप कई शराब की भट्टियां बंद कर दी गईं।

1 अप्रैल, 1969 को सरकार ने उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ में शराबबंदी लागू कर दी। 1970 में टिहरी और पौड़ी गढ़वाल में भी शराबबंदी कर दी गई, पर 14 अप्रैल, 1971 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस शराबबंदी को अवैध घोषित कर दिया और उत्तर प्रदेश सरकार मे उच्च्तम न्यायालय में इसके विरुद्ध कुछ करने के बजाय या आबकारी कानून में यथोचित परिवर्तन करने के फौरन शराब के नये लाइसेंस जारी कर दिये। जनता ने इसका तुरन्त विरोध किया। सरला बहन जैसे लोग आगे आये और 20 नवम्बर, 1971 को टिहरी में विराट प्रदर्शन हुआ, गिरफ्तारियां हुई। अन्ततः सरकार ने झुक कर अप्रैल, 1972 से पहाड के पांच जिलों में फिर से शराबबंदी कर दी।

कच्ची शराब कुटीर उद्योग के रुप में फैल चुकी है, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली आदि जनपदों में भोटियाँ जनजातियों के अधिकांश लोगों ने तिब्बत से व्यापार बन्द होने के बाद कच्ची शराब के धन्धे को अपना मुख्य व्यवसाय बना लिया था। इस धन्धे को बखूबी चलने देने के लिये वे पुलिस व आबकारी वालों की इच्छानुसार पैसा खिलाते थे। कच्ची के धन्धे को नेपाल से भारत में आकर जंगलों, बगीचों आदि में काम करने वाले नेपाली मजदूर भी खूब चलाते थे।

1978 में जनता पार्टी का शासन होने पर उत्तर प्रदेश ने आठों पर्वतीय जनपदों में पूर्ण मद्यनिषेध लागू कर दिया था, पर सरकारी तंत्र में शराब बंदी के प्रति कोई आस्था न होने के परिणामस्वरुप शराब बंदी के स्थान पर पहाड़ के गांवों में सुरा, लिक्विड आदि मादक द्रव्य फैल गये और पहाड़ की बर्बादी का एक नया व्यापार शुरु हो गया।

जनवरी 1984 में “जागर” की सांस्कृतिक टोली ने भवाली से लेकर श्रीनगर तक पदयात्रा की और सुरा-शराब का षडयंत्र जनता को समझाया। 1 फरवरी, 1984 को चौखुटिया में जनता ने आबकारी निरीक्षक को अपनी जीप में शराब ले जाते पकड़ा और इसके खिलाफ जनता का सुरा-शराब के पीछे इतने दिनों का गुस्सा एक साथ फूट पड़ा। एक आंदोलन की शुरुआत हुई, 2 फरवरी, 1984 को ग्राम सभा बसभीड़ा में उत्तराखण्ड संघर्ष वाहिनी ने एक जनसभा में इस आंदोलन की प्रत्यक्ष घोषणा कर दी। फरवरी के अंत में चौखुटिया में हुये प्रदर्शनों में 5 से 20 हजार जनता ने हिस्सेदारी की।

इसके बाद आंदोलन असाधारण तेजी से समूचे पहाड़ में फैला, जगह-जगह जनता ने सुरा-शराब के अड्डों पर छापा मारा या सड़को-पुलों पर जगह-जगह गाड़ी रोक कर करोड़ों रुपयों की सुरा-शराब पकड़वाई। इस जहरीले व्यापार में लिप्त लोगों का मुंह काला किया गया, प्रदर्शन, नुक्कड़ नाटक, सभायें होती रहीं। महिलाओं ने निडर होकर घर से बाहर निकलना शुरु किया। पहाड़ के ताजा इतिहास में शायद पहली बार किसी आंदोलन में महिलाओं को इतना समर्थन मिला, क्योंकि सुरा-शराब से सबसे ज्यादा महिलायें प्रभावित हो रहीं थीं।

इस बीच पर्यटन की आड़ लेकर सुरा-शराब लाबी ने नैनीताल में आंदोलन का अप्रत्यक्ष रुप से विरोध शुरु करवा दिया। लेकिन इसके विरोध में 17 जून, 1984 को मूसलाधार वर्षा के बीच उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी के आह्वान पर एक ऐतिहासिक प्रदर्शन नैनीताल में हुआ, जिसमें ढोल-नगाड़ों, निशाणों के साथ पहाड़ के कोने-कोने से आये हजारों लोगों ने भागीदारी दी।

उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी इन दिनों, सुरा, बायोटानिक जैसे 10 प्रतिशत से अधिक नशीले द्रव्यों के खिलाफ लाखों लोगों के हस्ताक्षर लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है और साथ ही जहां-जहां सम्भव हो, नगरों में, देहात में, मेलों में, लोक शिक्षण का कार्यक्रम भी चला रही है।

उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी इस आंदोलन को सिर्फ सुरा-शराब के खिलाफ लड़ाई बनाकर नहीं रखना चाहती, इनके मुख्य नारे इस प्रकार थे : – 

‘शराब आन्दोलन’ के घोष वाक्य  – 

“शराब नहीं रोजगार दो”,

“कमाने वाला खायेगा-लूटने वाला जायेगा”,

“फौज-पुलिस-संसद-सरकार, इनका पेशा अत्याचार” 

 

 

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कार्तिकेयपुर राजवंश का इतिहास (History of Kartikeypur Dynasty)

कार्तिकेयपुर राजवंश (700 ई०) (Kartikeypur Dynasty 700 AD)

  • स्थापना – 700 ई.
  • उत्तराखंड का प्रथम ऐतिहासिक राजवंश
  • संस्थापक – बसन्तदेव
  • प्रथम राजधानी – जोशीमठ (चमोली)
  • राजधानी स्थानांतरित – बैजनाथ (बागेश्वर) के पास बैधनाथ-कार्तिकेयपुर (कत्यूर घाटी)।
  • स्रोत – बागेश्वर, कंडारा, पांडुकेश्वर, एवं बैजनाथ आदि स्थानो से प्राप्त ताम्र लेख।
  • देवता – कार्तिकेय
  • वास्तुकला तथा मूर्तिकला के क्षेत्र में यह उत्तराखंड का स्वर्णकाल था।
  • इस राजवंश को उत्तराखंड व मध्य हिमालयी क्षेत्र का प्रथम ऐतिहासिक राजवंश माना जाता है।
  • इतिहासकार लक्ष्मीदत्त जोशी के अनुसार कार्तिकेयपुर के राजा मूलतः अयोध्या के थे।
  • इतिहासकार बद्रीदत्त पांडे के अनुसार कार्तिकेयपुर के राजा सूर्यवंशी थे।

कार्तिकेयपुर राजवंश के परिवार

1. बसंतदेव का राजवंश (कार्तिकेयपुर का प्रथम परिवार)

  • संस्थापक – बसन्तदेव था।
  • स्रोत – बागेश्वर त्रिभूवन राज शिलालेख
  • उपाधि – परमभट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर
  • यह कार्तिकेयपुर राजवंश के प्रथम शासक था।
  • बसन्तदेव ने बागेश्वर समीप एक मंदिर को स्वर्णेश्वर नामक ग्राम दान में दिया था।
  • बागेश्वर, कंडारा, पांडुकेश्वर, एवं बैजनाथ आदि स्थानो से प्राप्त ताम्र लेखों से इस राजवंश के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। 

2. खपरदेव वंश 

  • खर्पर देव वंश का विवरण बागेश्वर लेख में मिलता है।
  • खपरदेव वंश की स्थापना खर्परदेव ने की जो कि कार्तिकेयपुर में बसंतदेव के बाद तीसरी पीढ़ी का शासक था।
  • इसका पुत्र कल्याण राज था।
  • खर्परदेव वंश का अंतिम शासक त्रिभुवन राज था। 

3. निम्बर वंश (कार्तिकेयपुर का द्वितीय परिवार)

  • संस्थापक – निम्बर देव
  • निम्बर वंश का सर्वाधिक उल्लेख – पांडुकेश्वर (जोशीमठ) के ताम्रपत्र में मिलता हैं।
  • पांडुकेश्वर ताम्रपत्र की भाषा – संस्कृत

निम्बर वंश में निम्न शासक हुए – 

1. निम्बर – यह निम्बर वंश का संस्थापक था। इसे शत्रुहन्ता भी कहा गया है।

2. इष्टगण – इसने समस्त उत्तराखंड को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया व कार्तिकेयपुर राज्य की सीमाओं को वर्तमान गढ़वाल कुमाँऊ तक विस्तारित किया।

3. ललितशूर देव

  • यह एक महान निर्माता था।
  • इन सभी राजाओं में सर्वाधिक ताम्रपात्र ललितसुरदेव के प्राप्त हुए।
  • पांडुकेश्वर के ताम्रपत्र में इसे कालिकलंक पंक में मग्न धरती के उद्धार के लिये बराहवतार बताया गया

4. भूदेव –

  • ललितसूरदेव का पुत्र भू-देव निम्बर वंश का अंतिम शासक था।
  • इसने बैजनाथ मंदिर के निर्माण में सहयोग किया।
  • बैजनाथ मंदिर बागेश्वर जिले के गरुड़ तहसील में स्थित है।
  • यह मंदिर 1150 ई० में बनाया गया।

4. सलोड़ादित्य वंश (कार्तिकेयपुर का तीसरा परिवार) 

  • तालेश्वर एवं पांडुकेश्वर के ताम्रपत्र लेखों से ज्ञात होता है कि निम्बर वंश के बाद कार्तिकेयपुर में सलोड़ादित्य वंश के शासन का वर्णन मिलता है।
  • सलोड़ादित्य वंश की स्थापना सलोड़ादित्य के पुत्र इच्छरदेव ने की।
  • इच्छरदेव के बाद इस वंश में देसतदेव, पदमदेव, सुमिक्षराजदेव आदि शासक हुए।
  • सुभिक्षराजदेव के बाद उसके किसी वंशज ने राजधानी कार्तिकेयपुर से कुमाँऊ के गोमती घाटी (कत्यूर घाटी) में स्थानांतरित की, जिसे बैजनाथ शिलालेख में वैधनाथ कार्तिकेयपुर कहा गया है।

शंकराचार्य का उत्तराखण्ड आगमन

  • शंकराचार्य भारत के महान दार्शनिक व धर्मप्रवर्तक थे।
  • शकराचार्य का आगमन उत्तराखंड में कार्तिकेयपुर राजवंश के शासन काल मे हुआ।
  • शंकराचार्य ने हिन्दू धर्म की पुनः स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • इन्होंने भारतवर्ष में चार मठों की स्थापना की थी –
    (1) ज्योतिर्मठ (बद्रिकाश्रम)
    (2) श्रृंगेरी मठ
    (3) द्वारिका शारदा पीठ
    (4) पुरी गोवर्धन पीठ
  • सन 820 ई० में इन्होंने केदारनाथ में अपने शरीर का त्याग कर दिया था।

कार्तिकेयपुर (कत्यूरी राजवंश राज्य प्रशासन)

पदाधिकारी

  • प्रान्तपाल – सीमाओ की सुरक्षा
  • घट्टपाल – गिरीद्वारों का रक्षक
  • वर्मपाल – सीमावर्ती भागों में आने जाने वाले व्यक्ति पर निगाह रखता था
  • नरपति – नदी घाटों पर आगमन की सुविधा व कर वसूली

सेना व सैन्यधिकारी

सेना सेना नायक
1. पदातिक सेना  गोल्मीक
2.अश्वारोही सेना  अश्वाबलाधिकृत
3. गजारोगी सेना  हस्तिबलाधिकृत
4. उष्ट्रारोहि सेना  उष्ट्रबलाधिकृत 
तीनों आरोही सेना का सर्वोच्च पदाधिकारी – हस्त्यासवोष्ट्रबलाधिकृत

 

पुलिस विभाग के अधिकारी 

  • दोषापराधिक – अपराधी को पकड़ने वाला
  • दुःसाध्यसाधनिक – गुप्तचर विभाग का अधिकारी
  • चोरोद्वरणिक – चोर डाकुओं को पकड़ने वाला

 

कृषि से सम्बंधित अधिकारी 

  • आय साधन – कृषि व वन
  • क्षेत्रपाल – कृषि की उन्नति का ध्यान रखने वाला
  • प्रभातार – भूमि की नाप
  • उपचारिक – भूमि के अभिलेख रखने वाला
  • खण्डपति – वनों की रक्षा करने वाला

 

कर अधिकारी 

  • भोगपति – कर वसूली करने वाला
  • भट्ट और चार – प्रसार – प्रजा से बेगार लेने वाला

 

शासन-प्रशासन

  • राज्य – राजा
  • प्रान्त – उपरिक
  • जिले – विषपति

 

 

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UKSSSC (वाहन चालक, प्रवर्तन चालक, डिस्पैच राइडर) Exam 12 June 2022 (Answer Key)

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC – Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission) द्वारा उत्तराखंड समूह ‘ग’ के अंतर्गत (वाहन चालक, प्रवर्तन चालक, डिस्पैच राइडर) की भर्ती परीक्षा का आयोजन दिनांक 12 जून, 2022 को किया गया। इन परीक्षा का प्रश्नपत्र उत्तर कुंजी (Exam Paper With Answer Key) सहित यहाँ पर उपलब्ध है।

UKSSSC (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission) organized the Uttarakhand Driver, Enforcement Driver, Dispatch Rider Exam Paper held on 12th June 2022. This Exam Paper (UKSSSC Driver) 2022 Question Paper with Answer Key.

पद नाम वाहन चालक, प्रवर्तन चालक, डिस्पैच राइडर
पद कोड  715/788, 152 To 159, 162, 634, 679, 399/664, 154/440
परीक्षा तिथि 12 June, 2022 (10:00 AM – 11:00 AM)
प्रश्नों की कुल संख्या 50
पेपर सेट C

UKSSSC (Driver, Enforcement Driver, Dispatch Rider) Exam Paper 2022
(Answer Key)

1. द्वाराहाट मन्दिर समूह बनवाया गया :
(A) कुणिन्द राजाओं के द्वारा

(B) कत्यूरी राजाओं के द्वारा
(C) चन्द राजाओं के द्वारा
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (B)

2. इंजन में कैम शाफ्ट लगी रहती है :
(A) ऊक शाफ्ट की ओर झुका
(B) क्रैंक शाफ्ट के लम्बवत
(C) क्रैंक शाफ्ट के समानांतर
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (*)

3. उत्तराखण्ड की डॉ० माधुरी बड़थ्वाल को 2022 ई० में सम्मानित किया गया :
(A) साहित्य अकादमी पुरस्कार से
(B) पद्म विभूषण पुरस्कार से
(C) पद्मश्री पुरस्कार से
(D) पद्म भूषण पुरस्कार से

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Answer – (C)

4. निम्न में से कौन भारत में ‘ऑफ रोड कार रैली’ चालक नहीं है ?
(A) चेतन शिवराम
(B) डॉ० बिक्कू बाबू
(C) विक्कू विनायक्रम
(D) गौरव गिल

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Answer – (*)

5. नीचे दिये गये आज्ञापक संकेत का अर्थ है :
UKSSSC (Driver, Enforcement Driver, Dispatch Rider) Exam Paper 2022 Answer Key
(A) आगे चलना या दाएं मुड़ना अनिवार्य

(B) पहले दाएं मुड़ना फिर आगे चलना अनिवार्य
(C) पहले आगे चलना फिर दाएं मुड़ना अनिवार्य
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (*)

6. उत्तराखण्ड में ‘प्रजामण्डल आन्दोलन’ प्रारम्भ किया था :
(A) दौलत राम ने
(B) मोलू भरदारी ने
(C) नागेन्द्र सकलानी ने
(D) श्री देव सुमन ने

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Answer – (D)

7. ‘तम्बाकू निषध दिवस’ होता है
(A) 31 मई को
(B) 30 मई को
(C) 30 जून को
(D) 31 जुलाई को

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Answer – (A)

8. अर्जुन अवार्ड से सम्मानित श्री सुरेन्द्र सिंह कनवासी किस क्षेत्र से सम्बन्धित हैं?
(A) लेखन
(B) पर्यावरण
(C) नौकायन
(D) पर्वतारोहण

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Answer – (C)

9. ऑटोमोबाइल में बैटरी का मुख्य कार्य है।
(A) विद्युत के स्टेबलाइजर के रूप में का करना
(B) इंजन के चलने के दौरान हर समय प्रणाली को विद्युत की आपूर्ति करना
(C) इंजन स्टार्ट करते समय स्टार्टर मोटर को चालू करने के लिए अत्यधिक मात्रा में विद्युत की आपूर्ति करना
(D) अल्टरनेटर को विद्युत की आपूर्ति

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Answer – (*)

10. एक दिशा में तीन लेन वाले कैरिज-वे (परिवहन मार्ग) पर भारी वाहन किस लेन पर चलाया जाएगा?
(A) बायीं लेन में
(B) मध्य लेन में
(C) दायीं लेन में
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (*)

11. ‘कटारमल के सूर्य मन्दिर’ का निर्माण किस युग/काल में हुआ?
(A) शुग युग
(B) मौर्य काल
(C) कत्यूरी काल
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (C)

12. एक व्यक्ति, जिसे वाहन चलाने की वैध अनुज्ञप्ति जारी नहीं की गई है, वाहन चलाता है, को दण्डित किया जा सकता है.
(A) तीन माह तक का कारावास या पाँच हजार रूपया का जुर्माना या दोनो
(B) छ: माह तक का कारावास या एक हजार रूपया तक का जुर्माना
(C) केवल छः हजार रूपया का जुर्माना
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (*)

13. इंजन तेल में चिपचिपाहट (श्यानता) में परिवर्तन का मुख्य कारण है:
(A) ताप
(B) दूषण
(C) आर्द्रता
(D) कंपन

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Answer – (*)

14. विश्व में एच०आई०वी० संक्रमितों में भारत की स्थिति है:
(A) दूसरी
(D) तीसरी
(C) पहली
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (*)

15. मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अधीन ‘ओम्नीबस’ से तात्पर्य है।
(A) कोई मोटर वाहन जो सामान ले जाने हेतु निर्मित या अनुकूलित है।
(B) चालक को छोड़कर 6 से अधिक यात्रियों को ले जाने के लिए निर्मित या अनुकूलित कोई भी मोटर वाहन
(C) दोनों (A) तथा (B)
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (*)

16. टिहरी रियासत में ‘कीर्ति नगर आन्दोलन’ हुआः
(A) सन् 1950 ई० में
(B) सन् 1948 ई० में
(C) सन् 1949 ई० में
(D) सन् 1947 ई० में

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Answer – (D)

17. एच०आई०वी० पॉजीटिव व्यक्तियों के लिए प्रतीक है:
(A) नीला रिबन
(B) सफेद रिबन
(C) पीला रिबन
(D) लाल रिबन

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Answer – (D)

18. वाहनों में, ‘भारत स्टेज मानक’ प्राथमिक रूप से दर्शाता है:
(A) वायु प्रदूषक की मात्रा इंजन द्वारा
(B) इजन की क्षमता
(C) इंजन का आर०पी०एम०
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (A)

19. मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा-8(3) के अनुसार परिवहन वाहन चलाने के लिए प्रत्येक आवेदन के साथ संलग्नित होगा :
(A) पैन कार्ड
(B) ई-मेल आईडी०
(C) चिकित्सा प्रमाण पत्र
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (C)

20. उत्तराखण्ड में हस्तशिल्प व हथकरघा के विकास हेतु क्राफ्ट डिजाइन केन्द्र की उत्तराखण्ड में हस्तविक रिजाइन केन्द्र की स्थापना की गयी है :
(A) टनकपुर में
(B) हल्द्वानी में
(C) सेलाकुई में
(D) काशीपुर में

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Answer – (D)

उत्तराखंड की प्रमुख शब्दावली

उत्तराखंड में भूमि से संबंधित प्रमुख शब्दावली

शब्द व्याख्या
खुर्नी, कैनी हिस्सेदारी ‘स्वयं’ या ‘दूसरों’ के माध्यम से स्वयं की जमीन पर खेती करना या करवाना।
सिरतान वह कृषक जिन्हें कृषि करवाने हेतु अपने जमीन पर बसाया जाता था।
बीसी 20 नाली जमीन पर बोये जाने वाले बीज तत्कालीन 20 नाली = 4800 वर्ग गज।
हलिया, साझी कृषि हेतु हल चलाने के लिए किसी व्यक्ति को कार्य पर रखना साझी मध्यस्थ का कार्य करना।
पायकाश्त वह अस्थायी कृषक जो कृषि करने हेतु अन्य गांव की जमीन पर जाता था।
नाली दो सेर बीज बोने हेतु प्रयुक्त भूमि (1 नाली = 200 वर्ग मी.)
खालसा भूमि वह ग्राम जिनका राजस्व सीधे राजकोष में जमा होता है।
गूंठ भूमि वह भूमि अनुदान जिसका राजस्व मंदिरों के लिए उपयोग होता था।
गैर आबाद बंजर भूमि, वन भूमि, पर्वत आदि।
माफी विशिष्ठ व्यक्तियों को राजस्व मुक्त (कर मुक्त भूमि) दी गयी भूमि।

उत्तराखण्ड की अन्य प्रमुख शब्दावली

शब्द व्याख्या
कुली बेगार बिना मजदूरी दिए कराया गया जबरन श्रम करवाना।
बर्दायश ब्रिटिश अधिकारियों को दी जाने वाली निःशुल्क सेवा।
कोली बुनकर।
तिरूआ तीर बनाने वाला।
भूल कोल्हू से तेल निकालने वाला।
ओड़ भवन निर्माण हेतु पत्थर काटने वाला।
रूढ़िया रिगांल व बांस से टोकरी आदि बनाने वाला।
टम्टा तांबे के बर्तन बनाने वाला।
बाड़ी चमड़े के जूते बनाने वाला।
हनकिया कुम्हार (मिट्टी के बर्तन बनाने वाला)।
बरा अनाज, ईंधन व लकड़ी के रूप में लगाये जाने वाला कर।
मामला टिहरी रियासत में लिया जाने वाला नगद लगान।
औजी जागर लगाने वाले।

 

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उत्तराखंड सरकार के वर्तमान कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister of Uttarakhand Government)

उत्तराखंड सरकार के वर्तमान कैबिनेट मंत्री 2022
(Present Cabinet Minister of Uttarakhand Government 2022)

नाम  कार्यभार (पोर्टफोलियो) विभाग/विषय
श्री पुष्कर सिंह धामी
(मुख्यमंत्री)
मंत्रिपरिषद, कार्मिक एवं सतर्कता, सचिवालय प्रशासन, सामान्य प्रशासन, नियोजन, राज्य सम्पत्ति, सूचना, गृह, राजस्व, औद्योगिक विकास (खनन), औद्योगिक विकास, श्रम, सूचना प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी, पेयजल, ऊर्जा, आयुष एवं आयुष शिक्षा, आबकारी, न्याय, पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन एवं पुर्नवास, नागरिक उड्डयन 1. मंत्रिपरिषद
2. कार्मिक एवं अखिल भारतीय सेवाओं का संस्थापना विषयक कार्य
3. सतर्कता, सुराज, भ्रष्टाचार उन्मूलन एवं जनसेवा
4. सचिवालय प्रशासन
5. सामान्य प्रशासन
6. नियोजन
7. राज्य सम्पत्ति
8. सूचना
9. गृह, कारागार, नागरिक सूरक्षा एवं होमगार्ड एवं अर्द्धसैनिक कल्याण
10. राजस्व
11. औद्योगिक विकास (खनन)
12. औद्योगिक विकास
13. श्रम
14. सूचना प्रौद्योगिकी
15. विज्ञान प्रौद्योगिकी
16. पेयजल
17. ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जा
18. आयुष एवं आयुष शिक्षा
19. आबकारी
20. न्याय
21. पर्पयावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन
22. आपदा प्रवंधन एवं पुनर्वास
23. नागरिक उड्डयन
श्री सतपाल महाराज लोक निर्माण विभाग, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण, संस्कृति, धर्मस्व, पर्यटन, जलागग प्रवंधन, सिंचाई एवं लघु सिंचाई 1. लोक निर्माण विभाग
2. पंचायतीराज
3. ग्रामीण निर्माण
4. संस्कृति
5. धर्मस्व
6. पर्यटन
7. जलागम प्रबंधन
8. भारत नेपाल उत्तराखण्ड नदी परियोजनाएं
9. सिंचाई
10. लघु सिंचाई
श्री प्रेम चन्द अग्रवाल वित्त, शहरी विकास एवं आवास, विधायी एवं संसदीय कार्य, पुनर्गठन एवं जनगणना 1. वित्त, वाणिज्यकर, स्टाम्प एवं निबंधन
2. शहरी विकास
3. आवास
4. विधायी एवं संसदीय कार्य
5. पुनर्गठन
6. जनगणना
श्री गणेश जोशी कृषि एवं कृषक कल्याण, सैनिक कल्याण, ग्राम्य विकास 1. कृषि
2. कृषि शिक्षा
3. कृषि विपणन
4. उद्यान एवं कृषि प्रसंस्करण
5. उद्यान एवं फलोद्योग
6. रेशम विकास
7. जैव प्रौद्योगिकी
8. सैनिक कल्याण
9. ग्राम्य विकास
डॉ. धन सिंह रावत विद्यायी शिक्षा (बैसिक), विद्यालयी शिक्षा (माध्यमिक), संरकृत शिक्षा, सहकारिता, उच्च शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा 1. विद्यालयी शिक्षा (बेसिक)
2. विद्यालयी शिक्षा (माध्यमिक)
3. संस्कृत शिक्षा
4. सहकारिता
5. उच्च शिक्षा
6. चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा
सुबोध उनियाल वन, भाषा, निर्वाचन, तकनीकी शिक्षा 1. वन
2. भाषा
3. निवचिन
4. तकनीकी शिक्षा
श्रीमती रेखा आर्या महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले, खेल एवं युवा कल्याण 1. महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास
2. खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले
3. खेल
4. युवा कल्याण
श्री चन्दन राम दास समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, परिवहन, लघु एवं सूक्ष्म मध्यम उद्यम 1. समाज कल्याण
2. अल्पसंख्यक कल्याण
3. छात्र कल्याण
4. परिवहन
5. लघु एवं सूक्ष्म मध्यम उद्यम
6. खादी एवं ग्रामोद्योग
सौरभ बहुगुणा पशुपालन, दुग्ध विकास एवं मत्स्य पालन, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग, प्रोटोकॉल, कौशल विकास एवं सेवायोजन 1. पशुपालन
2. दुग्ध विकास
3. मत्स्य पालन
4. गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग
5. प्रोटोकॉल
6. कौशल विकास एवं सेवायोजन

Latest Update – 30 March 2022

 

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UKSSSC Vidhan Sabha Exam Paper 20 March 2022 (Official Answer Key)

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC – Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission) द्वारा उत्तराखंड विधानसभा की भर्ती परीक्षा का आयोजन दिनांक 20 मार्च, 2022 को किया गया। इन परीक्षा का प्रश्नपत्र उत्तर कुंजी (Exam Paper With Official Answer Key) सहित यहाँ पर उपलब्ध है।

UKSSSC (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission) organized the Uttarakhand Vidhan Sabha Exam Paper held on 20th March 2022. This Exam Paper (Vidhan Sabha) 2022 Question Paper with Official Answer Key. 

Post Name – Uttarakhand Vidhan Sabha Exam
Exam Date – 20 March, 2022 (1st Shift – 9:00 AM – 11:00 AM)

Total Number of Questions – 100
Paper Set – A

Click Here To Download the Official Answer Key (1st Shift)
Click Here To Download the Official Answer Key (2nd Shift) 
Click Here To Download the Official Answer Key (3rd Shift) 

Uttarakhand Vidhan Sabha Exam Paper 20 March 2022
(Official Answer Key)
(Morning Shift)

1. निम्न में से विलोम शब्दों का गलत युग्म है :
(A) दक्षिण – वाम
(B) उद्यम – निरुद्यम
(C) विधि – निषेध
(D) बर्बर – सभ्य

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Answer – (B)

2. महोदवी वर्मा कृत ‘मेरा परिवार’ रेखाचित्र का प्रकाशन वर्ष है:
(A) 1971 ई०
(B) 1972 ई०
(C) 1977 ई०
(D) 1941 ई०

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Answer – (B)

3. निम्नलिखित में से मछली का पर्यायवाची नहीं है :
(A) मीन
(B) शफरी
(C) हाला
(D) झस

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Answer – (C)

4. निम्नलिखित में से शुद्ध वर्तनी वाला शब्द है :
(A) सूश्रुषा
(B) सुश्रूषा
(C) शुश्रूषा
(D) श्रुशूषा

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Answer – (C)

5. उपमान और उपमेय का अभेद कहलाता है:
(A) उपमा
(B) रूपक
(C) उत्प्रेक्षा
(D) उपुर्यक्त में से कोई नहीं

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Answer – (B)

6. ‘निशीथ’ शब्द के लिए एक वाक्य है :
(A) रंग मंच पर पर्दे के पीछे का स्थान
(B) अर्द्ध रात्रि का समय
(C) जिसको कोई इच्छा न हो
(D) जहाँ एक भी मनुष्य न हो

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Answer – (B)

7. निम्नलिखित में से ‘अखरोट’ का तत्सम शब्द है :
(A) अक्षवाट
(B) अक्षोर
(C) अग्रहायन
(D) अगम्य

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Answer – (B) अक्षोट

8. निम्नलिखित में से किस वाक्य में प्रविशेषण नहीं है?
(A) बच्चे समझदार हो गए है।
(B) अरे! बहुत ही सुंदर फूल हैं।
(C) आजकल संतरे कुछ ज्यादा खट्टे हैं।
(D) मुझे तो थोड़ी ही भूख है।

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Answer – (A)

9. बैठक में उपस्थित व्यक्तियों के पदानुसार नाम, उनकी राय का पूरा विवरण सहित, कार्यसूची में रेखांकित कार्यों पर हुए विचार-विमर्श का संक्षिप्त विवरण कहलाता है:
(A) कार्यवृत्त
(B) प्रेस विज्ञप्ति
(C) परिपत्र
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (A)

10. ‘एंकर बाइट’ कहते हैं:
(A) एंकर द्वारा विस्तृत समाचार बताने को
(B) एंकर द्वारा मुख्य समाचार पढ़ने को
(C) एंकर द्वारा किसी समाचार की पुष्टि हेतु वीडियो या कथन दिखाने को
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (C)

11. निम्न में से सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता कौन-सी है?
(A) रश्मि
(B) तुलसीदास
(C) आंसू
(D) उच्छवास

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Answer – (B)

12. ‘उसे मृत्यु-दंड की सजा मिली’ इस वाक्य में अशुद्धि है।
(A) संस्कृत के शब्दों का प्रयोग हुआ है
(B) विदेशी शब्द ‘सजा’ का प्रयोग हुआ है
(C) दण्ड और सजा समानार्थी शब्दों का प्रयोग हुआ है
(D) कोई अशुद्धि नहीं है

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Answer – (C)

13. ‘र’ का विवरण है:
(A) वर्त्य, लुटित, सघोष, अल्पप्राण व्यंजन
(B) वर्त्स्य, पार्श्विक, सघोष, महाप्राण व्यंजन
(C) वर्त्य, संघर्षी, अघोष, अल्पप्राण व्यंजन
(D) वय, स्पर्श, सघोष, महाप्राण व्यंजन

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Answer – (A)

14. ‘खेत रहना’ मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है:
(A) सम्पत्ति का बचा रह जाना
(B) इज्जत बच जाना
(C) वीरगति को प्राप्त हो जाना
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

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Answer – (C)

15. निम्नलिखित में से प्रत्यय युक्त शब्द नहीं है :
(A) बोली
(B) भाषा
(C) पिपासा
(D) अंकुर

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Answer – (D)

16. ‘अध्यक्ष’ व ‘अधिष्ठाता’ में उपसर्ग है:
(A) अधि
(B) अति
(C) अध
(D) अध्य

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Answer – (A)

17. ‘रिपोर्ताज’ किस भाषा का शब्द है?
(A) फ्रांसीसी
(B) अंग्रेजी
(C) पुर्तगाली
(D) जापानी

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Answer – (A)

18. ‘राम आम खाता है।’ में वाच्य का कौन-सा रूप है?
(A) कर्तृवाच्य
(B) कर्मवाच्य
(C) भाववाच्य
(D) उभयवाच्य

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Answer – (A)

19. हिन्दी स्वरों का वर्गीकरण जब जीभ के भाग के आधार पर किया जाता है, तो निम्नलिखित में से कौन-सा भेद इसके अतर्गत नहीं आएगा?
(A) अग्र स्वर
(B) मध्य स्वर
(C) पश्च स्वर
(D) विवृत स्वर

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Answer – (D)

20. ‘ठठेरा’ शब्द का स्त्रीलिंग शब्द होगा:
(A) ठठेरी
(B) ठठारी
(C) ठठेरिन
(D) ठठेरिनी

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Answer – (C)

उत्तराखंड के प्रमुख वन आंदोलन

उत्तराखंड के प्रमुख वन आंदोलन
(Major Forest Movements of Uttarakhand)

रंवाई आन्दोलन (Ranwai Movement)

  • स्वतंत्रता से पूर्व टिहरी राज्य में राजा नरेन्द्रशाह के समय एक नया वन कानून लागू किया गया, जिसके तहत किसानो की भूमि को भी वन भूमि में शामिल किया जा सकता था। इस व्यवस्था के खिलाफ रंवाई की जनता ने आजाद पंचायत की घोषणा कर रियासत के खिलाफ विद्रोह शुरू किया। इस आन्दोलन के दौरान 30 मई, 1930 को दीवान चक्रधर जुयाल के आज्ञा से सेना ने आन्दोलनकारियों पर गोलियां चला दी जिससे सैकड़ों किसान शहीद हो गये। आज भी इस क्षेत्र में 30 मई को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

चिपको आन्दोलन (Chipko Movement)

  • 70 के दशक में बांज के पेड़ों कि अंधाधुंध कटाई के कारण हिमपुत्रियों (वहां कि महिलाओं) ने यह नारा दिया कि ‘हीम पुत्रियों की ललकार, वन नीति बदले सरकार’, वन जागे वनवासी जागे’
  • रेणी गाँव के जंगलों में गूंजे ये नारे आज भी सुनाई दे रहें हैं। इस आन्दोलन की शुरुआत 1972 से वनों की अंधाधुंध एवं अवैध कटाई को रोकने के उद्देश्य से शुरू हुई।
  • चिपको आंदोलन कि शुरुआत 1974 में चमोली ज़िले के गोपेश्वर में 23 वर्षीय विधवा गौरी देवी द्वारा की गई, चिपको आन्दोलनकरी महिलाओं द्वारा 1977 में एक नारा (“क्या हैं इस जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार”) दिया गया था, जो काफी प्रसिद्ध हुआ।
  • चिपको आंदोलन को अपने शिखर पर पहुंचाने में पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा और चंडीप्रसाद भट्ट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बहुगुणा जी ने “हिमालय बचाओ देश बचाओ” का नारा दिया।
  • इस आंदोलन के लिए चमोली के चंडीप्रसाद भट्ट को 1982 में रेमन मेगसेस पुरस्कार (Ramon Magsaysay Award) से सम्मानित किया गया था।

वन आंदोलन 1977 (Forest Movement of 1977)

  • 1977 में नैनीताल जिले में शुरु हुआ यह एक राज्य स्तरीय आंदोलन था। व्यापक विरोध के बावजूद केवल नीलामी की तिथि संशोधित कर 27 नवंबर को तय हुई। जिसके विरोध में नैनीताल का शैले हॉल आंदोलनकारियों द्वारा फूक दिया गया। जिसके फलस्वरुप छात्रों की गिरफ्तारी हुई, फरवरी 1978 में संभवतया पहली बार उत्तराखंड बंद हुआ।
  • द्वाराहाट के चोंचरी व पालड़ी (बागेश्वर) में जनता ने ढोल नगाड़ों के साथ वनो का कटान बंद कराया।

डुंग्री पैंतोली आंदोलन (Dungri-Pantoli Movement)

  • चमोली जनपद के डुंग्री-पैंतोली में बाज का जंगल काटे जाने के विरोध में जनता द्वारा आंदोलन किया गया था।
  • यहां बाज के जंगल को सरकार ने उद्यान विभाग को हस्तान्तरित कर दिया। महिलाओं के विरोध के बाद सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। इसी आंदोलन को डुंग्री-पैंतोली आंदोलन के नाम से जाना जाता है।

पाणी राखो आंदोलन (Pani Rakho Movement)

  • 80 के दशक के मध्य से उफरैखाल गाँव (पौढी गढ़वाल) के युवाओं द्वारा पानी की कमी को दूर करने के लिए चलाया गया यह आंदोलन काफी सफल रहा।
  • इस आंदोलन के सुत्रधार उफरैखाल के शिक्षक सच्चिदानंद भारती थे। उन्होंने ‘दूधातोली लोक विकास संस्थान’ का गठन किया। जिसने क्षेत्र में जन जागरण कर सरकारी अधिकारियों पर दबाव बनाकर वनों की अंधाधुंध कटान को रुकवाया।

रक्षासूत्र आंदोलन (Rakshasutra Movement)

  • 1994 में शुरू रक्षासूत्र आंदोलन में टिहरी के भिलंगना घाटी के लोगों ने वृक्षों पर रक्षासूत्र बांधकर वृक्षों को बचाने का संकल्प लिया था।
  • उत्तर प्रदेश सरकार ने 2500 पेड़ों को काटने हेतु चिन्हित किया था। सरकार इससे पहले कि पेड़ों का कटान शुरू करती स्थानीय माहिलाओं ने आंदोलन शुरू कर दिया।
  • इस आंदोलन का नारा था- “ऊंचाई पर पेड़ रहेंगे, नदी ग्लेशियर टिके रहेंगे, पेड़ कटेंगे पहाड़ टूटेंगे, बिना मौत के लोग मरेंगे, जंगल बचेगा देश बचेगा, गांव-गांव खुशहाल रहेगा।”

झपटो छीनो आंदोलन (Jhapto Chhino Movement)

  • रैणी, लाता, तोलमा आदि गांव की जनता ने वनो पर परंपरागत हक बहाल करने तथा नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क (Nanda Devi National Park) का प्रबंधन ग्रामीणों को सौंपने की मांग को लेकर 21 जून, 1998 को लाता गांव में धरना प्रारंभ किया और 15 जुलाई को समीपवर्ती गांव के लोग अपने पालतू जानवरों के साथ नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क में घुस गए और इस आंदोलन को झपटो छीनो नाम दिया गया।

मैती आंदोलन (Maiti Movement)

  • मैती शब्द का अर्थ मायका होता है, इस अनोखे आंदोलन के जनक कल्याण सिंह रावत थे। जिनके मन में 1996 में आंदोलन का विचार आया
  • ग्वालदम इंटर कॉलेज की छात्राओं को शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम के दौरान बेदनी बुग्याल में वनों की देखभाल करते देख, श्री रावत ने यह महसूस किया कि पर्यावरण के संरक्षण में युवतियां ज्यादा बेहतर ढंग से कार्य कर सकती हैं, उसके बाद ही मैती आंदोलन संगठन और तमाम सारी बातों ने आकार लेना शुरू किया।
  • इस आंदोलन के कारण आज भी विवाह समारोह के दौरान वर-वधू द्वारा पौधा रोपने कि परंपरा तथा इसके बाद मायके पक्ष के लोगों के द्वारा पौधों की देखभाल की परंपरा विकसित हो चुकी है, विवाह के निमंत्रण पत्र पर बकायदा मैती कार्यक्रम छपता है और इसमें लोग पूरी दिलचस्पी लेते हैं।

 

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