रवांई काण्ड के पश्चात् टिहरी राज्य में जन-आक्रोश में वृद्धि हुई। इसी का परिणाम था, 1935 ई0 में सकलाना पट्टी के उनियाल गाँव में सत्यप्रसाद रतूड़ी द्वारा ‘बाल सभा’ की
कीर्तिशाह (1892 – 1913 ई0) (Kirtishah) अपने पिता की मृत्यु के अवसर पर कीर्तिशाह अल्पायु थे। अतः उनके व्यस्क होने तक रानी गुलेरी के संरक्षण में मंत्रियों की एक समिति
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