Paris Olympics 2024

पेरिस ओलंपिक 2024: भारत की प्रदर्शन समीक्षा और प्रमुख उपलब्धियाँ

भारत का पेरिस ओलंपिक 2024 अभियान

पेरिस ओलंपिक 2024 का समापन हो चुका है, और भारतीय खिलाड़ियों ने इस बार कुल छह पदक अपने नाम किए हैं, जिनमें पांच कांस्य और एक रजत पदक शामिल हैं। भारतीय दल में कुल 117 खिलाड़ी शामिल थे, जिनके साथ 140 सहायक कर्मचारी और अधिकारी भी गए थे। भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) द्वारा भेजे गए इस दल ने 26 जुलाई से शुरू हुए पेरिस ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया।

पदक विजेताओं की उपलब्धियां

भारतीय खिलाड़ियों ने इस ओलंपिक में जिन खेलों में पदक जीते, उनमें से प्रमुख स्पर्धाएं इस प्रकार हैं:

  • महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में मनु भाकर ने कांस्य जीता – भारतीय निशानेबाज मनु भाकर ने 28 जुलाई को महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। यह भारत का इस ओलंपिक में पहला पदक था, और मनु भाकर ओलंपिक शूटिंग में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बन गईं। उन्होंने फाइनल में 221.7 का स्कोर बनाया और तीसरे स्थान पर रहते हुए इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल किया।

 

  • 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित स्पर्धा में मनु भाकर और सरबजोत सिंह ने कांस्य जीता – 30 जुलाई को, मनु भाकर और सरबजोत सिंह की जोड़ी ने 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। इस मुकाबले में उन्होंने दक्षिण कोरिया की जोड़ी को 16-10 से हराया। इस पदक के साथ, मनु भाकर एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बनीं।

 

  • पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन स्पर्धा में स्वप्निल कुसाले ने कांस्य जीता – स्वप्निल कुसाले ने 1 अगस्त को पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। यह पदक अप्रत्याशित था, क्योंकि किसी ने उन्हें पदक की दौड़ में नहीं रखा था। लेकिन स्वप्निल ने सभी को चौंकाते हुए यह पदक अपने नाम किया और इस स्पर्धा में ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने।

 

  • भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता – भारतीय पुरुष हॉकी टीम से इस बार स्वर्ण पदक जीतने की काफी उम्मीद थी। हालांकि, वे स्वर्ण नहीं जीत सके, लेकिन कांस्य पदक बरकरार रखने में कामयाब रहे। टीम ने 8 अगस्त को स्पेन को 2-1 से हराकर कांस्य पदक जीता। इस जीत के साथ, भारत ने टोक्यो 2020 में 41 साल बाद हॉकी में पदक का सूखा समाप्त करने के बाद इस उपलब्धि को दोहराया।

 

  • नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक स्पर्धा में रजत पदक जीता – भारत के स्टार भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने 8 अगस्त को पेरिस ओलंपिक में 89.45 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ रजत पदक जीता। टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज इस बार अपने पदक का बचाव नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने देश के लिए एक और महत्वपूर्ण पदक हासिल किया।

 

  • पुरुषों की फ्रीस्टाइल कुश्ती में अमन सहरावत ने कांस्य पदक जीता – भारत ने 9 अगस्त को अपने अभियान का अंतिम पदक जीता, जब अमन सहरावत ने पुरुषों की फ्रीस्टाइल कुश्ती में 57 किलोग्राम भारवर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया। उन्होंने कांस्य पदक के मुकाबले में पुअर्तो रिको के पहलवान डैरियन टोई क्रूज को 13-5 से हराया और इस ओलंपिक में भारत के एकमात्र पुरुष पहलवान के रूप में इतिहास रचा।

अभिनव बिंद्रा को मिला ओलंपिक ऑर्डर सम्मान

भारतीय निशानेबाज और 2008 बीजिंग ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा को पेरिस में प्रतिष्ठित ओलंपिक ऑर्डर से सम्मानित किया गया। यह सम्मान अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) द्वारा ओलंपिक खेलों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को दिया जाता है। इससे पहले, पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी इस सम्मान से नवाजा जा चुका है। 41 वर्षीय बिंद्रा ने 2008 बीजिंग खेलों में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल प्रतियोगिता जीतकर भारत का पहला व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता था। वह 2010 से 2020 तक अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ (ISSF) की एथलीट समिति के सदस्य रहे और 2014 से इसके अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे। 2018 से वह IOC एथलीट आयोग के सदस्य भी हैं।

ओलंपिक ऑर्डर सम्मान

ओलंपिक ऑर्डर, IOC का सर्वोच्च पुरस्कार है, जो ओलंपिक आदर्शों को दर्शाने और खेल जगत में उत्कृष्ट योगदान के लिए व्यक्तियों को दिया जाता है। इस सम्मान के प्राप्तकर्ता उस व्यक्ति को मान्यता देते हैं जिसने खेल के विकास और ओलंपिक आदर्शों के प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो।

निष्कर्ष

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन प्रभावशाली रहा। छह पदक जीतकर उन्होंने देश का गौरव बढ़ाया। हालांकि, टोक्यो 2020 की तुलना में इस बार पदकों की संख्या कम रही, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों की संघर्षशीलता और समर्पण ने दर्शाया कि वे विश्व मंच पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। अभिनव बिंद्रा का ओलंपिक ऑर्डर सम्मान प्राप्त करना भी भारत के लिए गर्व की बात है, जिसने देश के खेल इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है।

 

विनेश फोगाट: ओलंपिक स्वर्ण की उम्मीदें और हार की कहानी

यह लेख, ‘The Hindu’ में प्रकाशित “Up but out: On Vinesh Phogat’s Olympic campaignपहलवान विनेश फोगाट के ओलंपिक अभियान पर केंद्रित है। लेख में विनेश फोगाट के ओलंपिक प्रदर्शन का विश्लेषण किया गया है, जिसमें उनके संघर्ष, उनकी जीत और हार की कहानी शामिल है। विनेश का अभियान एक भावुक यात्रा है, जिसमें उन्होंने कड़ी मेहनत की और सफलताओं का सामना किया, लेकिन अंततः ओलंपिक पदक से वंचित रह गईं। लेख में उनके संघर्ष और ओलंपिक के लिए तैयारियों के महत्व पर जोर दिया गया है।

विनेश फोगाट की ओलंपिक स्वर्ण पदक की उम्मीदें और निराशा

परिचय

विनेश फोगाट, जो हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं, ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के अपने सपने को पूरा करने के लिए पेरिस पहुंची थीं। 50 किलोग्राम के वर्ग में उनके जबरदस्त प्रदर्शन ने भारत के खेल प्रेमियों में बड़ी उम्मीदें जगाईं। लेकिन, उनकी स्वर्ण पदक की उम्मीदें उस समय धराशायी हो गईं जब वे फाइनल से पहले वजन के 100 ग्राम अधिक पाई गईं।

सेमीफाइनल तक का सफर

विनेश ने अपने सेमीफाइनल मुकाबले में जापान की पूर्व चैंपियन युई सुसाकी को हराकर सभी को चौंका दिया। उन्होंने क्यूबा की युसनेइलिस गुज़मैन लोपेज़ को सेमीफाइनल में मात देकर फाइनल में अपनी जगह बनाई। उनका प्रदर्शन उन्हें स्वर्ण पदक के लिए प्रमुख दावेदार के रूप में स्थापित कर चुका था। मंगलवार की सुबह उन्होंने 49.90 किलोग्राम वजन किया था, लेकिन मंगलवार के दिन की समाप्ति के बाद उनका वजन बढ़कर 52.7 किलोग्राम हो गया था।

वजन घटाने के प्रयास : अत्यधिक दबाव और नाकामी

मंगलवार की रात को विनेश और उनके समर्थन स्टाफ ने वजन घटाने के लिए अत्यधिक प्रयास किए। उन्होंने खाने-पीने से परहेज किया, कठोर व्यायाम किए और नींद तक को नज़रअंदाज़ कर दिया, लेकिन वजन घटाने की ये सभी कोशिशें असफल रहीं। सुबह 7:15 बजे हुए अनिवार्य वजन परीक्षण में वे 50 किलोग्राम से 100 ग्राम अधिक पाई गईं, जिससे उन्हें प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया।

भारतीय खेल के लिए बड़ा झटका

विनेश का वजन के कारण बाहर हो जाना न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा झटका था। उनके स्वर्ण या रजत पदक की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं, और उनकी इस निराशा ने पूरे देश में मायूसी फैला दी। उनकी इस हार को देश में कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख ब्रिज भूषण शरण सिंह के खिलाफ चल रहे बड़े संघर्ष का प्रतीक भी माना जा सकता है, जहां विनेश और अन्य पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।

नियम और अनुशासन

अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती महासंघ के नियम स्पष्ट हैं कि अगर कोई खिलाड़ी वजन के मानकों पर खरा नहीं उतरता, तो उसे प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाएगा। विनेश को भी इसी नियम के तहत बाहर किया गया और उन्हें प्रतियोगिता में आखिरी स्थान पर रखा गया। इस घटना ने भारतीय खेल में नियमों की सख्ती और अनुशासन की आवश्यकता को फिर से उजागर किया है।

निष्कर्ष

विनेश फोगाट की हार भारतीय खेलों के लिए एक बड़ी क्षति के रूप में देखी जा रही है। उन्होंने अपने करियर की समाप्ति की घोषणा भी की, जिससे भारतीय खेल जगत एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी खो देगा। हालांकि, उन्होंने रजत पदक के लिए अपील की है, जिसका निर्णय अभी बाकी है। उनका ये संघर्ष भारतीय खेल जगत में नियमों की सख्ती और अनुशासन की याद दिलाता है।

 

लक्ष्य पर: ओलंपिक और भारतीय निशानेबाज

यह लेख “The Hindu” में प्रकशित “On target: On the Olympics and Indian shooters” भारतीय निशानेबाजों के ओलंपिक में प्रदर्शन पर केंद्रित है। इसमें भारत के निशानेबाजों की तैयारी और उनके संभावित सफलता की संभावनाओं पर चर्चा की गई है। लेख में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत के निशानेबाजों ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन किया है, जिससे उनकी ओलंपिक में मेडल जीतने की उम्मीदें बढ़ी हैं। साथ ही, इसमें भारतीय निशानेबाजी महासंघ की भूमिका और सरकार द्वारा दिए गए समर्थन की भी चर्चा की गई है।

भारतीय शूटिंग की उत्कृष्टता: एक नया अध्याय

भारतीय शूटिंग का इतिहास और विकास

भारतीय शूटिंग के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब राजीवर्धन सिंह राठौड़ ने 2004 एथेंस ओलंपिक में पुरुषों की डबल ट्रैप शूटिंग में रजत पदक जीता। इसके बाद से भारतीय निशानेबाजों पर हमेशा उम्मीदों का दबाव बना रहा है। 2008 बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल श्रेणी में स्वर्ण पदक जीतकर इस दबाव को और बढ़ा दिया। 2012 लंदन ओलंपिक में गगन नारंग ने 10 मीटर एयर राइफल में कांस्य पदक जीता, जबकि विजय कुमार ने 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल प्रतियोगिता में रजत पदक जीता। लेकिन इसके बाद रियो डी जेनेरो और टोक्यो में हुए ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजों का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा।

पेरिस ओलंपिक 2024: मनु भाकर की ऐतिहासिक सफलता

लेकिन पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय निशानेबाजों ने सभी संदेहों को दूर करते हुए शानदार प्रदर्शन किया। 22 वर्षीय मनु भाकर पहली भारतीय महिला बनीं जिन्होंने शूटिंग में ओलंपिक पदक जीता। टोक्यो ओलंपिक में उपकरण खराबी के कारण असफल रहने वाली मनु ने इस बार 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य पदक जीता। इसके बाद मनु ने सरबजोत सिंह के साथ मिलकर 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड इवेंट में भी कांस्य पदक जीता। हालांकि 25 मीटर पिस्टल फाइनल में चौथे स्थान पर रहते हुए वह हैट्रिक बनाने से चूक गईं।

भारतीय शूटिंग की प्रगति और मनु की सफलता

मनु की सफलता भारतीय शूटिंग की प्रगति और एक प्रभावी सिस्टम का प्रमाण है। मनु ने अपने पूर्ववर्ती अंजलि भागवत और सुमा शिरूर के पदचिह्नों का अनुसरण किया। अंजलि और सुमा ने ओलंपिक पदक नहीं जीता, लेकिन उन्होंने अपने जूनियर्स को खेल के प्रति जुनून के साथ प्रेरित किया। मनु का अपने पूर्व कोच जसपाल राणा के साथ जुड़ना, जो खुद एक उत्कृष्ट निशानेबाज थे, ने उनके खेल में एक नया आयाम जोड़ा। शूटिंग में स्थिर हाथ, तेज नजर और एक शांत मस्तिष्क की आवश्यकता होती है, और मनु ने यह साबित किया कि वह लक्ष्य पर निशाना लगाते समय पूर्ण एकाग्रता में थीं।

अन्य भारतीय निशानेबाजों का प्रदर्शन

मनु के अलावा, स्वप्निल कुसेले ने पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस इवेंट में कांस्य पदक जीता। अरजुन बाबुता ने पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल फाइनल में चौथे स्थान पर रहकर दिखाया कि शूटिंग में जीत और हार के बीच बहुत पतली रेखा होती है। वहीं तीरंदाजी में भी भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, जहां दीपिका कुमारी और उनकी टीम निर्णायक मोड़ों पर अक्सर असफल हो गईं।

निष्कर्ष

भारतीय शूटिंग ने पेरिस ओलंपिक 2024 में एक नया अध्याय लिखा है। मनु भाकर की सफलता ने यह साबित कर दिया कि भारतीय निशानेबाजों में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता है। यह भारतीय खेल व्यवस्था की एक बड़ी उपलब्धि है, और आने वाले वर्षों में और अधिक पदक जीतने की उम्मीद जगाती है।

पेरिस ओलंपिक्स की गिनती: भारत की उम्मीदें और चुनौतियां

पदक गणना: पेरिस ओलंपिक्स की तैयारी और भारत
(Medal count: On countdown to the Paris Olympics and India)

पेरिस ओलंपिक्स 2024 की तैयारी जोरों पर है और भारत के खेल प्रेमियों की निगाहें पदक तालिका पर टिकी हुई हैं। हर बार की तरह, इस बार भी भारतीय एथलीटों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीदें हैं। The Hindu के संपादकीय “Medal count: On countdown to the Paris Olympics and India” में भारत की तैयारियों, चुनौतियों और संभावनाओं पर चर्चा की गई है।

मुख्य लेख

पेरिस ओलंपिक्स के लिए तैयारियों में जुटे भारतीय एथलीटों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं। पिछले ओलंपिक्स में भारत ने 7 पदक जीते थे, जो देश के लिए अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन था। इस बार, भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने 10-15 पदक जीतने का लक्ष्य रखा है।

प्रमुख बिंदु:

  1. खेलों में विविधता: भारत ने खेलों में विविधता लाने के लिए कई प्रयास किए हैं। अब केवल क्रिकेट ही नहीं, बल्कि हॉकी, बैडमिंटन, कुश्ती, बॉक्सिंग, और निशानेबाजी जैसे खेलों में भी भारतीय खिलाड़ी विश्वस्तरीय प्रदर्शन कर रहे हैं।
  2. प्रशिक्षण और सुविधाएं: सरकार और खेल संस्थानों ने खिलाड़ियों के लिए उच्चस्तरीय प्रशिक्षण और आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था की है। टॉप्स (टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम) और खेलो इंडिया कार्यक्रम जैसे पहल खिलाड़ियों को उत्कृष्टता की ओर प्रेरित कर रहे हैं।
  3. कुश्ती और बॉक्सिंग में संभावनाएं: कुश्ती और बॉक्सिंग में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन हमेशा से ही उत्कृष्ट रहा है। बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, मैरी कॉम और लवलीना बोरगोहेन जैसे खिलाड़ी पदक जीतने के प्रबल दावेदार हैं।

प्रमुख तर्क:

  1. सरकारी समर्थन और निवेश: खेलों में सुधार और उत्कृष्टता की दिशा में सरकार का समर्थन और निवेश बढ़ा है। खिलाड़ियों को उचित सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिससे उनका मनोबल ऊंचा हो रहा है।
  2. महिलाओं का योगदान: भारतीय महिला खिलाड़ी भी अब पीछे नहीं हैं। पीवी सिंधु, साक्षी मलिक, मीराबाई चानू जैसी महिला खिलाड़ी देश का गौरव बढ़ा रही हैं और उनके प्रदर्शन से महिला खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिल रहा है।

प्रतिकूल तर्क:

  1. सिस्टम की चुनौतियां: हालांकि सरकारी प्रयासों के बावजूद, कई बार खिलाड़ियों को उचित प्रशिक्षण और सुविधाएं नहीं मिल पातीं। सिस्टम की धीमी प्रक्रिया और बुनियादी सुविधाओं की कमी खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर असर डाल सकती है।
  2. मनोवैज्ञानिक दबाव: ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर खिलाड़ियों पर मानसिक दबाव भी एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए मानसिक प्रशिक्षण और समर्थन की आवश्यकता है ताकि खिलाड़ी अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें।

निष्कर्ष

पेरिस ओलंपिक्स 2024 में भारत की संभावनाएं उज्ज्वल हैं, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। सरकार और खेल संस्थानों को मिलकर खिलाड़ियों के लिए बेहतर सुविधाएं और समर्थन प्रदान करना होगा ताकि वे अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें और देश का नाम रोशन कर सकें।

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