Karnataka jobs-for-locals bill

कर्नाटक स्थानीय रोजगार विधेयक: एक गलत नीति

दुराग्रही नीतिः कर्नाटक में स्थानीय लोगों के लिए नौकरी विधेयक
(Wrongheaded policy: On the Karnataka jobs-for-locals bill)

‘The Hindu’ में प्रकाशित संपादकीय “Wrongheaded policy: On the Karnataka jobs-for-locals bill” में कर्नाटक सरकार के ‘स्थानीय उम्मीदवारों के लिए रोजगार विधेयक 2024’ की तीखी आलोचना की गई है। इस विधेयक के अनुसार, कर्नाटक में उद्योगों और अन्य प्रतिष्ठानों में प्रबंधन पदों पर 50% और गैर-प्रबंधन पदों पर 70% स्थानीय उम्मीदवारों की नियुक्ति अनिवार्य होगी। इस विधेयक को असंवैधानिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से गलत बताया गया है।

कर्नाटक स्थानीय रोजगार विधेयक

कर्नाटक सरकार का यह विधेयक स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार की सुरक्षा के उद्देश्य से प्रस्तावित किया गया है। इसमें स्थानीय उम्मीदवारों की परिभाषा के तहत कन्नड़ भाषा में दक्षता को अनिवार्य किया गया है।

अन्य राज्यों के उदाहरण

कर्नाटक का यह विधेयक अकेला नहीं है। इससे पहले आंध्र प्रदेश (2019), हरियाणा (2020), और झारखंड (2023) में भी समान विधेयक पारित किए गए थे। हरियाणा के कानून को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 2023 में असंवैधानिक करार दिया था। आंध्र प्रदेश का कानून अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है, जबकि झारखंड का विधेयक अभी तक लागू नहीं हुआ है। इन राज्यों के उदाहरण से यह स्पष्ट है कि इस प्रकार के कानून संवैधानिक चुनौतियों का सामना करते हैं।

विधेयक की कानूनी चुनौतियाँ

यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19 (स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन करता है। अनुच्छेद 16(3) के अनुसार, निवास के आधार पर आरक्षण केवल संसद द्वारा सार्वजनिक रोजगार में ही लागू किया जा सकता है, न कि राज्य विधानसभाओं द्वारा। इस प्रकार के कानून देश भर में नागरिकों के अधिकारों को प्रभावित करते हैं और कृत्रिम दीवारें खड़ी करते हैं।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

स्थानीय और प्रवासी श्रमिकों के बीच संघर्ष को बढ़ावा देने वाला यह विधेयक उद्योगों में कार्य कुशलता और प्रतिस्पर्धा को भी प्रभावित कर सकता है। प्रवासी श्रमिकों का शोषण और उन्हें कम वेतन पर अधिक काम करवाने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए श्रम अधिकारों का सख्त प्रवर्तन आवश्यक है। यह विधेयक उद्योगों में कार्य कुशलता और प्रतिस्पर्धा को भी प्रभावित कर सकता है।

संभावित समाधान

स्थानीय श्रमिकों और प्रवासी श्रमिकों के बीच संघर्ष को समाप्त करने के लिए सरकार को श्रम अधिकारों का सख्त प्रवर्तन करना चाहिए। प्रवासी श्रमिकों के शोषण को रोकने और सभी श्रमिकों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। स्थानीय श्रमिकों के लिए संरक्षणवादी नीति अपनाने के बजाय, सभी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें बेहतर कार्य परिस्थितियाँ प्रदान करना अधिक उचित होगा।

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